Elon Musk Neuralink Computer Chip : मानव इतिहास में कुछ क्षण ऐसे होते हैं, जो टेक्नोलॉजी के चमत्कार से हमारी सांसें थाम लेते हैं. वो पल हमें विज्ञान कथाओं की दुनिया से बाहर निकालकर, भविष्य की कुछ झलक दिखाते हैं. एलोन मस्क की न्यूरालिंक कंपनी का ये दावा ठीक ऐसा ही एक पल है! कंपनी का दावा है कि वो जल्द ही मानव मस्तिष्क में कंप्यूटर चिप लगाने के लिए मानव परीक्षण शुरू करने वाली है. ये खबर न सिर्फ चकित करती है, बल्कि हमारे भविष्य की कल्पना को एक नए सिरे से लिखने का आमत्रण देती है.
Elon Musk Neuralink Computer Chip
न्यूरालिंक एक न्यूरोटेक्नोलॉजी कंपनी है, जिसे 2016 में एलोन मस्क ने स्थापित किया था. उनका लक्ष्य है, मस्तिष्क और कंप्यूटर के बीच सीधा संचार का रास्ता खोलना. ये चमत्कारिक रास्ता होगा एक छोटे से सिक्के के आकार का कंप्यूटर चिप, जो मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में तार लगाकर विद्युत सिग्नल को पढ़ने और कंप्यूटर तक पहुंचाने का काम करेगा.
बंदरों से मनुष्यों तक का सफर ?
न्यूरालिंक ने पहले बंदरों पर अपने इस इम्प्लांट का परीक्षण किया है. परीक्षण के बाद का परिणाम चौंकाने वाले रहे हैं! इम्प्लांट की मदद से बंदरों ने वीडियो गेम खेलना, कंप्यूटर पर लिखना, यहां तक कि मानसिक रूप से आभासी हथियार का संचालन करना भी सीख लिया है. ये सफलता मानव परीक्षणों की राह आसान जरूर करती है, लेकिन असल चुनौती तो अभी बाकी है.
मानव परीक्षण उम्मीदें और सवालों का मेल
2023 के अंत तक न्यूरालिंक 10 से 20 लकवाग्रस्त या न्यूरोलॉजिकल विकारों से पीड़ित लोगों पर ये कंप्यूटर चिप लगाने का टेस्ट करने की योजना बना रहा है. उम्मीद है कि ये चिप उन्हें लकवा से मुक्ति, दुबारा चलने-फिरने की शक्ति और संवेदनाओं को लौटाएगा. ये ना केवल उनकी जिंदगी बदलेगा, बल्कि मानव चिकित्सा के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय लिखेगा.
लेकिन हर क्रांतिकारी कदम अपने साथ सवाल भी लाता है. सबसे बड़ा सवाल इम्प्लांट की सुरक्षा को लेकर है. मस्तिष्क एक नाजुक अंग है. चिप लगाने या उसके काम करने में कोई गड़बड़ी पूरे जीवन को बर्बाद कर सकती है. संक्रमण, सूजन और ऑपरेशन के दौरान चोट जैसे जोखिम भी अनदेखे नहीं किए जा सकते है .
भविष्य का रास्ता संभावनाएं और नैतिक दुविधाएं
न्यूरालिंक का ये कदम मानवता के भविष्य का चेहरा बदल सकता है. लकवा, अंधापन, बहरापन जैसी विकलांगताओं को खत्म करने से लेकर, सीखने-याद रखने की क्षमता बढ़ाने तक, न्यूरालिंक के अनुप्रयोग असीमित हैं. मानसिक बीमारियों के इलाज में भी ये तकनीक क्रांति ला सकती है.
लेकिन हर सिक्के के दो पहलू होते हैं. मस्तिष्क में सीधा हस्तक्षेप नैतिक सवालों का जाल भी बुनता है. इम्प्लांट के जरिए दिमाग का डेटा कैसे सुरक्षित होगा? इसका दुरुपयोग कैसे रोकेगा? क्या ये तकनीक कुछ चुनिंदा लोगों तक ही सीमित रहेगी, या समाज के सभी वर्गों तक पहुंच पाएगी? ये ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब न्यूरालिंक को ही नहीं, पूरे समाज को मिलकर खोजना होगा.
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